भीलवाड़ा.
भीलवाड़ा के मांडलगढ़ तहसील के धाकड़खेड़ी गांव की महिला किसान रिंकी विश्नोई ने खेती की तस्वीर बदल दी है। रासायनिक खेती के नुकसान देखकर रिंकी ने जैविक खेती शुरू की। और उसके बाद धीरे-धीरे किसानों को भी जैविक खेती से जोड़ना शुरू कर दिया। जो अब तक 250 किसान परिवार सिर्फ जैविक खेती कर रहे है। यह सभी किसान उनके गांव के है। कुल 350 में से 250 जोड़े गए है। रिंकी का कहना है कि यह खाद वो खुद बनाते है। इसके लिए गोबर, गोमूत्र, छाछ आदि की जरूरत पड़ी तो गायें पालना या गायों की संख्या बढ़ाना शुरू किया।
ऐसी बनाती है रिंकी विश्नोई खाद को
ये कीटनाशक भी खुद बनाती है। ये दवाएं आक, धतूरा, नीम, बिल्व पत्र आदि के पत्तों को उबालकर तैयार करते हैं। इन पत्तों को उबालने के बाद गाढ़ा होने पर उसे एम ड्रम में भरते हैं। फिर जब भी फसल पर छिड़कना हो, 10 लीटर पानी में आधा लीटर कीटनाशक मिलाकर छिड़काव करते हैं। जैविक कीटनाशक के साथ-साथ जीवामृत, सरल कंपोस्ट, कंपोस्ट पिट आदि भी तैयार करते है।
कोटा की संस्था से जुड़ी, 90 युवाओं को गुर सिखाए
रिंकी विश्नोई ने बताया कि कोटा की एक संस्था से जुड़ी हुई हूं। रिंकी ने अपने गांव धाकड़खेड़ी, हिंगोनिया व बागीद गांवों के 90 युवाओं को ले जाकर जैविक खेती के गुर सिखाए। गांव में अब भी 100 किसान रासायनिक खेती करर रहे हैं। उनके खेत का पानी जैविक खेतों में न आए इसके लिए मेड़बंदी कर रखी है।


